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बुधवार, 14 जुलाई 2010

ए री मोहे मिल गये नन्द किशोर

ए री मोहे मिल गये नन्द किशोर
 बाँह पकड़त हैं मटकी फोड़त हैं
करत हैं कितनी किलोल 
ए री मोहे ......................................

कभी छुपत हैं कभी दिखत हैं
कभी रूठत हैं कभी मानत हैं
जिया में उठत हिलोर 
ए री मोहे ........................................

रास रचावत हैं सबहों नचावत हैं
वेणु मधुर- मधुर ऐसी बजावत हैं
बाँध कर प्रेम की डोर 
ए री मोहे .........................................

 

16 टिप्‍पणियां:

राजेश उत्‍साही ने कहा…

सचमुच वंदना जी लगता तो यही कि आपको नंद किशोर आखिर मिल ही गए। आपकी अर्ज उन्‍होंने सुन ली। आपके इस गीत में यह भाव इतने सहज तरीके से आया है कि लगता है इतने दिनों की आपकी तड़प अब अपने मुकाम पर पहुंच गई है। नंदकिशोर जी को प्रेम और नैन की डोर में बांधकर रखियेगा।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

कभी छुपत हैं कभी दिखत हैं
कभी रूठत हैं कभी मानत हैं
जिया में उठत हिलोर
ए री मोहे .................
--
बहुत सुन्दर भजन!

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

मन को छू गये आपके भाव।
--------
पॉल बाबा की जादुई शक्ति के राज़।
सावधान, आपकी प्रोफाइल आपके कमेंट्स खा रही है।

kshama ने कहा…

Bahut,bahut pyara geet hai..waqayi Nand kishor mil jane ki khushi chhalak rahi hai!

Kusum Thakur ने कहा…

नन्द किशोर की भक्ति में ओत प्रोत रचना .....वाह बहुत सुन्दर !!

daanish ने कहा…

नटखट नन्द किशोर की रास का बहुत ही
वन्दनीय चित्रण किया है आपने .....
गीत - रचना की श्रृंखला में अनुपम प्रयोग . . .
बधाई

मनोज कुमार ने कहा…

एक भावप्रद भजन।

सुरेन्द्र "मुल्हिद" ने कहा…

mohay panghat pe nand lal chhed gayo re...

bahut hee badhiya rachna vandana ji

Shri"helping nature" ने कहा…

aapke pass aur ho to mughe mail kriyega pls

Shri"helping nature" ने कहा…

waaaaaaaaaaaaaaaah aaj phli baar krishn bhakti wali kuch padhne ko mil rahi hai kya baat hai

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत सुन्दर भक्ति भाव से लिखा भजन

Ravi Kant Sharma ने कहा…

वन्दना जी, आपकी कृष्ण भक्ति को मेरा शत-शत नमन।
जय श्री कृष्णा!

rashmi ravija ने कहा…

बाँध कर प्रेम की डोर
ए री मोहे ..
बहुत ही सुन्दर प्रेम रस में पगी,रचना

SATYA ने कहा…

कृष्ण भक्ति से ओत-प्रोत,
सुन्दर रचना के लिए आभार...

दीपक 'मशाल' ने कहा…

ऐसे गीतों का सृजन कम हो रहा है.. इस तरह ये एक विशिष्ट गीत हो गया..

राजेंद्र माहेश्वरी ने कहा…

j s k